बड़े क़रीब से गुजर के उस रोज़ जब सन्नाटे में, तुम्हारी साँसों की हलचल के शोर के दरमियाँ, जो कोई मचलती हुई सी हरकत थी ना, बस वही, हाँ वही, मेरा इश्क़ था.... और वो इश्क़ आज भी फिर कहीं ख़लाओं में, कभी मुसाफिर बन, कभी मुन्तज़िर होके....... ढूंढ लेता है तुमको, और हैरत ये है, के तुम मिल भी जाती हो, हर रोज़ मुझे........।। #इश्क़ #हरकत #yqbaba #yqdidi #yqbhaijan #नज़्म #मैं