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रिहाई रुह की हो जिस्म आज़ादी मेरी देखे, कभी इक रोज़

रिहाई रुह की हो जिस्म आज़ादी मेरी देखे,
कभी इक रोज़ मेरा यार बर्बादी मेरी देखे।

©Ishan sharma "Anand" ऐक मतला
रिहाई रुह की हो जिस्म आज़ादी मेरी देखे,
कभी इक रोज़ मेरा यार बर्बादी मेरी देखे।

©Ishan sharma "Anand" ऐक मतला