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बिस्मिलाह जब हुआ वक़्त की नज़ाकत से तो तैशिब नहीं

बिस्मिलाह जब हुआ वक़्त  की नज़ाकत से
तो तैशिब नहीं थी उसकी गुमानत पे
दिली चाहत थी की कर लू हजरात इनसे भी
मगर उम्र की अलग ही बगावत थी

आज जब तोड़ा वक़्त ने शीशे के माफिक
तो चकनाचुर हो हम अतीत में खो गए
उल्लास के मद में जो कि बेवकूफी 
  उसपे निछावर खुद ही हो गए #lifecycle
बिस्मिलाह जब हुआ वक़्त  की नज़ाकत से
तो तैशिब नहीं थी उसकी गुमानत पे
दिली चाहत थी की कर लू हजरात इनसे भी
मगर उम्र की अलग ही बगावत थी

आज जब तोड़ा वक़्त ने शीशे के माफिक
तो चकनाचुर हो हम अतीत में खो गए
उल्लास के मद में जो कि बेवकूफी 
  उसपे निछावर खुद ही हो गए #lifecycle
prabhatraj5400

Prabhat Raj

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