जीवन सार ।।।।।।।।। पन्नग ग्रासै अंड सबु, पन्नग अंडजराज। एकु जीव नहि कर सकत, सबु जीवन पर राज।। (पन्नग =सर्प, अंडजराज= पक्षीराज, गरुण) ✍️अवधेश कनौजिया© ©Avdhesh Kanojia #poem #Poet #Life पन्नग ग्रासै अंड सबु, पन्नग अंडजराज। एकु जीव नहि कर सकत, सबु जीवन पर राज।। (पन्नग =सर्प, अंडजराज= पक्षीराज, गरुण)