जाति ,पाति ,पंथ,मजहब से ऊपर उठकर भगवान श्री राम चन्द्र के व्यक्तित्व को बताती और समझाती एक अतिसुन्दर कविता जरूर पढ़िए - सारा जग है प्रेरणा प्रभाव सिर्फ राम है। भाव सूचियाँ बहुत है, भाव सिर्फ राम है। कामनाएँ त्याग पुण्य काम की तलाश में तीर्थ खुद भटक रहे है धाम की तलाश में न तो दाम के न किसी नाम की तलाश में राम वन गये थे अपने राम की तलाश में आप में ही आप का चुनाव सिर्फ राम है भाव सूचियाँ बहुत है, भाव सिर्फ राम है। ढाल में ढले समय की शस्त्र में ढले सदा सूर्य थे मगर वो सरल दीप से जले सदा ताप में तपे स्वयं के स्वर्ण से गले सदा राम ऐसा पथ थे जिसपे राम ही चले सदा दुःख में भी अभाव का अभाव सिर्फ राम है। भाव सूचियाँ बहुत है, भाव सिर्फ राम है। अपने अपने दुःख थे सबसे सारे दुःख छले गये वो जो आस दे गये थे वो ही सांस ले गये राम राज्य की ही आस में दिये जले गये राम राज आ गया तो राम ही चले गये हर घड़ी नया-नया स्वभाव सिर्फ राम है भाव सूचियाँ बहुत है, भाव सिर्फ राम है। ऋण थे जो मनुष्यता के वो उतारते रहे जाति ,पाति ,पंथ,मजहब से ऊपर उठकर भगवान श्री राम चन्द्र के व्यक्तित्व को बताती और समझाती एक अतिसुन्दर कविता जरूर पढ़िए - सारा जग है प्रेरणा प्रभाव सिर्फ राम है। भाव सूचियाँ बहुत है, भाव सिर्फ राम है। कामनाएँ त्याग पुण्य काम की तलाश में तीर्थ खुद भटक रहे है धाम की सूचियाँ बहुत है, भाव सिर्फ राम है। ढाल में ढले समय की शस्त्र में ढले सदा सूर्य थे मगर वो सरल दीप से जले सदा ताप में तपे स्वयं के स्वर्ण से गले सदा राम ऐसा पथ थे जिसपे राम ही चले सदा दुःख में भी अभाव का अभाव सिर्फ राम है। भाव सूचियाँ बहुत है, भाव सिर्फ राम है। अपने अपने दुःख थे सबसे सारे दुःख छले गये वो जो आस दे गये थे वो ही सांस ले गये राम राज्य की ही आस में दिये जले गये राम राज आ गया तो राम ही चले गये हर घड़ी नया-नया स्वभाव सिर्फ राम है भाव सूचियाँ बहुत है, भाव सिर्फ राम है। ऋण थे जो मनुष्यता के वो उतारते रहे जन को तारते रहे तो मन को मारते रहे इस भरी सदी का दोष खुद पे धारते रहे जानकी तो जीत गयीं राम हारते रहे दुःख की सब कहानीयाँ हैं भाव सिर्फ राम है भाव सूचियाँ बहुत है, भाव सिर्फ राम है। जग की सब पहेलियों का देके कैसा हल गये लोक के जो प्रश्न थे वो शोक में बदल गये सिद्ध कुछ हुए न दोष इसतरह से टल गये सीता आग में न जलीं राम जल में जल गये सीता जी का हर जनम बचाव सिर्फ राम है। भाव सूचियाँ बहुत है, भाव सिर्फ राम है। लेखक: अमन अक्सर #Sanskarजन को तारते रहे तो मन को मारते रहे इस भरी सदी का दोष खुद पे धारते रहे जानकी तो जीत गयीं राम हारते रहे दुःख की सब कहानीयाँ हैं भाव सिर्फ राम है भाव सूचियाँ बहुत है, भाव सिर्फ राम है। जग की सब पहेलियों का देके कैसा हल गये लोक के जो प्रश्न थे वो शोक में बदल गये सिद्ध कुछ हुए न दोष इसतरह से टल गये सीता आग में न जलीं राम जल में जल गये सीता जी का हर जनम बचाव सिर्फ राम है। भाव सूचियाँ बहुत है, भाव सिर्फ राम है। लेखक: - आशीष वर्मा #Sanskar Ritika suryavanshi pooja negi# Suman Zaniyan deepshi bhadauria