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पहचान बनाते बनाते अक्सर खुद की पहचान को खोया है अप

पहचान बनाते बनाते अक्सर
खुद की पहचान को खोया है
अपने सुख दुख का पता नहीं
दूजे के दुख पे रोया है...!

दर्द भरी नफरत की धरती
बीज प्रेम का बोया है।
पहचान बनाते बनाते अक्सर
खुद की पहचान को खोया है।

©Gudiya Gupta (kavyatri).....
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