Nojoto: Largest Storytelling Platform

अनजान प्रदेश में, निर्जन पथ पर, सुनशान राह में, बै

अनजान प्रदेश में, निर्जन पथ पर,
सुनशान राह में, बैठी शिला पर।
जाऊं किस राह, हैं कश्मकश में,
जो छूट गई मंजिले, उनका गम न कर।
निराश न मन को कर,
उठ नई इबारत लिखने को।
 उन्हें भूल नई पाने को,

©BS NEGI नई इबारत
अनजान प्रदेश में, निर्जन पथ पर,
सुनशान राह में, बैठी शिला पर।
जाऊं किस राह, हैं कश्मकश में,
जो छूट गई मंजिले, उनका गम न कर।
निराश न मन को कर,
उठ नई इबारत लिखने को।
 उन्हें भूल नई पाने को,

©BS NEGI नई इबारत
bsnegi5334037537629

BS NEGI

New Creator

नई इबारत #कविता