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शीर्षक: "बचपन का सुकून" मां बाप का दुलार था, सार

शीर्षक: "बचपन का सुकून"

मां बाप का दुलार था,  सारी गलतियां भी मांफ थी,
खेल खेल में बचपन बीता, नियत भी अपनी साफ थी,

रोने से सब मिल जाता था,  और हंसना मां को हंसाता था,
मैं दौड़ के गले लगा जाता था,  जब बापू दफ्तर से आता था,

अनगिनत खुशियों का भी, अपना एक बही खाता था,
खेल खेल में आपस में, वो अन बन वाला नाता था,

मिनटों में लड़भिड कर, पहला दूसरे को मनाता था,
बचपन में जो चाहा, वो बिन मांगे घर आ जाता था,

सीख सदा गलती पर मिलती, मा पापा ने हमको डांटा था,
तलाश है बस उस सुकून की, जो बचपन में मिल जाता था !!
.

©Anurag Stunning #बचपन #kavita #कविता #AnuragTiwari #हिंदी #Poetry #anuragstunning #Nojoto
शीर्षक: "बचपन का सुकून"

मां बाप का दुलार था,  सारी गलतियां भी मांफ थी,
खेल खेल में बचपन बीता, नियत भी अपनी साफ थी,

रोने से सब मिल जाता था,  और हंसना मां को हंसाता था,
मैं दौड़ के गले लगा जाता था,  जब बापू दफ्तर से आता था,

अनगिनत खुशियों का भी, अपना एक बही खाता था,
खेल खेल में आपस में, वो अन बन वाला नाता था,

मिनटों में लड़भिड कर, पहला दूसरे को मनाता था,
बचपन में जो चाहा, वो बिन मांगे घर आ जाता था,

सीख सदा गलती पर मिलती, मा पापा ने हमको डांटा था,
तलाश है बस उस सुकून की, जो बचपन में मिल जाता था !!
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