अब ख़्वाबों में जानम हम तेरे दीदार करते है तेरी चाहत के मारे आज भी बेज़ार फिरते है तुझे जो टूट कर चाहा खाता मेरी थी वो हमदम तेरी दीवानगी में आज भी बीमार फिरते है Yawar Amin