छुप कर निहार रहा जो ख़ूबसूरती को तुम्हारी डर है मुझे नज़र ना लग जाए ख़ूबसूरती को तुम्हारी ये जो इतराता है ज़माने में अपनी शक्ल- ओ-सूरत पर उसे बताऊँ मैं कभी मेरे यार का दीदार- ए-हुस्न तो कर मैं क्या उपमा दूँ अपने यार के जमाल को चाँद भी फीका है उसके सामने बस यही कह सकता हूँ Pc by भाग्य श्री बैरागी #गढ़वालीगर्ल #अनाम #अनाम_ख़्याल #chand #ख़ूबसूरती #रात्रिख्याल