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,,बाल मजदूरी,, मजबूरी को मंजूरी समझ लेते हैं लोग

,,बाल मजदूरी,,

मजबूरी को मंजूरी समझ लेते हैं लोग
लगाना पड़ता है फिर यह बाल मजदूरी का भोग
कॉपी, किताब ,कलम , बैग ,सब कुछ तो छूट गया
कैसे रखूं एक  सौम्य जवानी की कामना? 
जब यह बचपन ही मुझसे रूठ गया,
दब रहे सपने मेरे देखो भार विस्तृत है इस मजदूरी का
क्या समझता है कोई पीड़ा मेरी भी? 
इस विनाशक बीमारी बहुत बुरी का 
इस रोग से पीड़ित हो रहे मेरे बौद्धिक अंग हैं
सिकुड़ रहे सहज -सहज जिस उद्देश्य मेरा जीवन भंग है
जा रही कुचली हर इच्छा मेरी
खेलकूद होशियारी की
पेट की आग रजा रही ये समस्त आडंबर
मचा रही शोर  इस कलंक की तैयारी की
कैसे निकलूं  इस दलदल से मैं?  
हर क्षण  धंस रहे कदम है
कोसों दूर बस गई सकारात्मकता भी
क्योंकि इस बाल  श्रम का भी एक विशाल गम है।।

©Pooja Saini #बाल मजदूरी 😌😌 
 #कविता✍️✍️
,,बाल मजदूरी,,

मजबूरी को मंजूरी समझ लेते हैं लोग
लगाना पड़ता है फिर यह बाल मजदूरी का भोग
कॉपी, किताब ,कलम , बैग ,सब कुछ तो छूट गया
कैसे रखूं एक  सौम्य जवानी की कामना? 
जब यह बचपन ही मुझसे रूठ गया,
दब रहे सपने मेरे देखो भार विस्तृत है इस मजदूरी का
क्या समझता है कोई पीड़ा मेरी भी? 
इस विनाशक बीमारी बहुत बुरी का 
इस रोग से पीड़ित हो रहे मेरे बौद्धिक अंग हैं
सिकुड़ रहे सहज -सहज जिस उद्देश्य मेरा जीवन भंग है
जा रही कुचली हर इच्छा मेरी
खेलकूद होशियारी की
पेट की आग रजा रही ये समस्त आडंबर
मचा रही शोर  इस कलंक की तैयारी की
कैसे निकलूं  इस दलदल से मैं?  
हर क्षण  धंस रहे कदम है
कोसों दूर बस गई सकारात्मकता भी
क्योंकि इस बाल  श्रम का भी एक विशाल गम है।।

©Pooja Saini #बाल मजदूरी 😌😌 
 #कविता✍️✍️
poojasaini7344

Pooja Saini

New Creator

#बाल मजदूरी 😌😌 #कविता✍️✍️