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वो इश्क़ जो तुमने किया, क्या कहूँ कैसे ज़हर पिया..!

 वो इश्क़ जो तुमने किया,
क्या कहूँ कैसे ज़हर पिया..!
ज़िन्दगी सँवारी मेरी तुमने,
ख़ुद को सनम यूँ ख़ुदा किया..!

कुरेदना आसान था ज़ख़्मों को जानी,
मोहब्बत से तुमने पर हर ज़ख्म सिया..!
मरहम की चाह में मर हम जाते,
तसल्ली का तसव्वुर पर तुमने दिया..!

कैसे बयाँ करूँ हाल-ए-दिल अपना,
मेरे ग़मों को तुमने यूँ अपना जो लिया..!
सूखी थी जमीं दिल की बँजर की भाँति,
खँजर के मंजर से काँपा था हिया..!

हम-नवा बनके जीवन में तुमने,
सुख का समुन्दर सदा मुझको दिया..!
नतमस्तक हूँ मैं कोई पुरानी पुस्तक हूँ मैं,
पर वेदों सा व्यापक तुमने मुझको किया..!

©SHIVA KANT(Shayar)
  #Alive #IsaQ_or_Mohabbat