उड़ने दो इन बेजुबान को खुली हवाओ में।। ना कैद करो इन्हें अपने आशियाने में।। सब कुछ तो चीन लिया जमाने ने कल शायद तेज धूप में इनकी चहकती आवाजे ना मिली तो।। बची हुई ज़िन्दगी भी डूब जाएगी कैदखाने में ।।। महेश गर्ग