खट्टी मीठी यादें आँगन की अपने ज़हन में लेकर आई हूँ ताकि ख़ुशनुमा करदूँ तेरी दुनिया जो बिखर कर रह गई अलगाव में सूख चुकी झीलों के उड़ते रेत की लाल पीली काली आँधियों में जो ज़ज़्बात उड़ रहे हैं तिनके से मैं उनके लिए बरसात लेकर आई हूँ बड़े नाज़ों से पाला मुझको बड़े ठाठ से विदाई दी गई है मैं अपने बाबुल के सपनों का एक समंदर बनकर आई हूँ साजन का घर एक किनारा दूसरा मेरे सपनों का है मैं बीच में लहराती आई हूँ। खट्टी मीठी यादें आँगन की अपने ज़हन में लेकर आई हूँ ताकि ख़ुशनुमा करदूँ तेरी दुनिया जो बिखर कर रह गई अलगाव में सूख चुकी झीलों के उड़ते रेत की लाल पीली काली आँधियों में जो ज़ज़्बात उड़ रहे हैं तिनके से