तेरे चेहरे पर यह धूल कैसी? मैंने कहा बरसों से भटक रहा हूं इन राहों पर गर्मी सर्दी बारिश धूप सबसे राहों में अभी तक वह मंजिल नहीं मिली जहां बैठकर चेहरे की धूल हटा सकूं । अभी और चलना है मुझे इन राहों पर कहीं पर मोड़ है कहीं पर जंगल पर मैं एक बंजारा हूं जो घूम रहा हूं बिना किसी मंजिल के ना देख पा रहा हूं कहां मेरी मंजिल है ना समझ पा रहा हूं कहां मेरी मंजिल है बस बंजारा हूं बंजारा हूं बंजारा हूं #secondquote MMD #Origin #Banjarablog. #MMD