kuch को सँभालते tho कुछ को संभलता देखा h.. किसी शहर की इमारतों मैं चमचमाती रोशनी, तो उसी शहर की बस्ती मैं कटता अंधेरा देखा h.. कुछ को ज़िन्दगी के बदलते हालातो के साथ बदलता देखा h.. कुछ को ज़िन्दगी ki पहली सांस से ज़िन्दगी के आंखरी सांस tak..., जीने के लिय, रोज़ हर माईने मैं बदलाव करते देखा h... #haan, ज़िन्दगी को जितना bhi देखा है , बहुत करीब से देखा h. ©unknwnn #Life_experience #shortpoem #ज़िन्दगी #ShahRukhKhan