ज़ख़्म पर ओर ज़ख़्म देते गए लोग यहाँ हमदर्दी की मरहम बन के! अब तक जो मिला छलता गया मुझको कोई तो आए ज़िंदगी में महरम बन के! जलते दयार में अदद बूँद मोहब्बत बरसे बेशक़ बरसे कुछ क़तरा शबनम बन के! इसी आस में ज़िंदा हूँ फिरेंगे दिन तेरे ए दिल तेरी बस्ती आबाद करेगा कोई सनम बन के! ♥️ Challenge-896 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।