जिंदगी के चार दीवारी में, ना बचा कोई सीने में ! धोखेबाजी बस जीने में, अब यकीन नहीं जमाने में ! बुनियाद झूठ की है बातों में ,लम्हे गुजरते हैं अकेले में, अपने खो गये हैं परायो में ,अब यकीन नहीं जमाने में! आँसु बचे है बस जीने में, मजा ना आए अब रात के सुकून में ! जहर शब्दों के दर्द देते हैं सीने में ,अब यकीन नहीं जमाने में ! झूठे सपने दिखाए आंखों में ,सजा ना दो झूठे प्यार में ! अपना कोई मिलादो इस दुनिया में, अब यकीन नहीं जमाने में! ©VAniya writer * #gajal #gajalove #gajalshayari #Life #lifeexperience #lifelessons keep writing ✍️ Rajeev Bhardwaj लेखक Nimble Limner (Jasmine Sun) Vishal kumar "Vishal"