कितना कुछ तो अभी बदला है सिर्फ 10-15 सालों में, झूले पड़े दिखते थे सभी पेड़ों की डालों में.. छूट गए रिवाज सब अपने, पीछे रह गई रीत , कहां है पेड़, जो डलें झूले, किसे आते हैं गीत.. शायद मेरा ये लिखना भी उपहास बन जाए , कुछ दिन में ये सब भी, इतिहास बन जाए.. आगे बढ़ना तो वही है, जो पीछे कुछ भी नहीं खोता, बिना जड़ों के तो पेड़ का , कोई अस्तित्व ही नहीं होता... ©drVats तीज.. जब मैं कवि नहीं था तब की कविता.. Poetry may be immature, feelings aren't.. तीज के महत्व का अंदाज़ा इसी से लगाया सकता है कि हम त्योहार को तीज - त्योहार बोलते हैं। लेकिन तेज़ी से बढ़ते आधुनिकीकरण, अत्याधिक व्यस्तता,, घटते हुए पेड़, हरियाली, प्राकृतिक सौंदर्य और आपसी भाईचारे व संस्कृति के विघटन ने इस त्यौहार और इस जैसे कई रिवाजों को हाशिए पर ला दिया है! #teej #nojoto #hariyaliteez #nojotohindi #poetry #shayari #love #bachpan #nature #customs #festival #celebration #drvats #pyaar #mohabbat #dosti #openpoetry #विचार #कविता #कहानी #कला #संस्कृति #प्रकृति #त्योहार #तीज #सावन