आस पास रहने वाले विद्यार्थियों के बीच बहस को दर्शाती एक लघु कथा 👇👇👇 रवि क्लास से जैसे ही वापस अपने कमरे पर आता है उसे कुछ बहस सुनाई देती है रवि इसे इग्नोर कर अपने कमरे में चला जाता है । वो एक शांत सा खुद में ही गुम रहने वाला लड़का है आज तो फ़ैसला हो कर ही रहेगा शर्मा जी साला ई लोग रोज़ रोज़ का ड्रामा बना लिए है पढ़ने ही नहीं देते, रोज़ रोज़ ई लोगों का पार्टिये चलता है बब्लू काफी गुस्से में शर्मा जी के सामने अपनी बातें रख रहा था और सौरभ, अशोक, कार्तिक, अरुण के आने का इंतज़ार कर रहा था । सभी ड्रीम हास्टल की दूसरी मंजिल पर रहते थे और सरकारी नौकरी के तैयारी में जुटे हुए थे शर्मा जी को तैयारी करते काफी साल हो चुके थे उम्र में वो बाकियो से बड़े थे, सर पे कुछ नाम मात्र के बाल ही बचे हुए थे, दाढ़ियां पक चुकी थी, फिर भी वो लगे हुए थे ।