बाज़ीगर कि हार कर भी जीत गये हम इस ज़माने में क्योंकि वफ़ादारी में हमारी कभी फ़रेब न रहा बचा न सके आशियां अपना हम जब ख़ज़र ए फ़रेब अपने खून के रिश्तों के हाथों में जो था, बस रहेगी कसक इस बात की हमेशा दर्द जो दिया हमारे अपने सगे रिश्तों ने दिया, ज़माना तो यूं ही बदनाम है फ़रेबियत के लिए अब तो बुरा वक्त अपनों में ही दरार ला देता है तरु की शायरियां 🥀🥀 ©संस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु स्वलिखित शायरियां #wellwisher_taru #Nojoto #poetry #Life #nojotohindi #Trending #writer #कवितावाचिका #शायरी #Likho