इससे ज्यादा कड़वा सत्य और क्या होगा कि हम ये नहीं जानते, कि कब कोई बात, हालात, रात या मुलाकात कब किसकी आखिरी हो जाये। इससे ज़्यादा मतलभी खुदगर्ज और क्या होगा वक़्त पड़ा तो अजनबी को भी सिर पे बैठा लिया वक़्त गुज़र गया फिर तो उसकी निष्ठा, मतलबी, स्वार्थी या बेफजूल समझकर सवाल कर दिया ! ©Mahadev Son मतलबी इंसान