|| प्रतीक्षा में || मध्य में हो विराजित मध्यमा और कनिष्ठा के ! नाम से ही विदित होता आपके नारीत्व का धर्म ! आप हो प्रेणता सदन की हो अद्भुत खेल स्पर्धा में ! विजय परचम की अधिकारी हो तुम ; हो घर का शक्ति और अभिमान ! • पढ़े अनुशीर्षक में • आप हो सुख - दुःख की संगिनी प्रिय । एक बेटी हो , एक भार्या हो हो कुशल एक गृहणी वनिता ! सादगी से परिपूर्ण हो तुम राजसी कन्या जैसी ! शान्त प्रिय अभिलाषी हो तुम मंद मुस्काने वधू जैसी !