आज ज़रा फुर्सत थी बस थोड़ी-सी राहत थी कैसी-कुछ चाहत थी दिल ख़ामोश, आँखे नम थी जब वो यादें जेहन में लौट आती (पूरी कविता अनुशीर्षक में पढ़े) आज ज़रा फुर्सत थी, बस थोड़ी-सी राहत थी, कैसी-कुछ चाहत थी, बस दोस्तों की बेहिसाब यादें थी आज भी दिल में ताज़ा थीं दिल ख़ामोश, आँखे नम थी