Nojoto: Largest Storytelling Platform

आज ज़रा फुर्सत थी बस थोड़ी-सी राहत थी कैसी-कुछ चाहत

आज ज़रा फुर्सत थी
बस थोड़ी-सी राहत थी
कैसी-कुछ चाहत थी
दिल ख़ामोश, आँखे नम थी 
जब वो यादें जेहन में लौट आती

(पूरी कविता अनुशीर्षक में पढ़े) आज ज़रा फुर्सत थी,
बस थोड़ी-सी राहत थी,
कैसी-कुछ चाहत थी,

बस दोस्तों की बेहिसाब यादें थी
आज भी दिल में ताज़ा थीं

दिल ख़ामोश, आँखे नम थी
आज ज़रा फुर्सत थी
बस थोड़ी-सी राहत थी
कैसी-कुछ चाहत थी
दिल ख़ामोश, आँखे नम थी 
जब वो यादें जेहन में लौट आती

(पूरी कविता अनुशीर्षक में पढ़े) आज ज़रा फुर्सत थी,
बस थोड़ी-सी राहत थी,
कैसी-कुछ चाहत थी,

बस दोस्तों की बेहिसाब यादें थी
आज भी दिल में ताज़ा थीं

दिल ख़ामोश, आँखे नम थी