बचपन और दादा जी दादाजी की गोद में पुरा गांव घुमना, दादाजी का मेरी हर ख्वाहिश पूरी करना, कभी काका की जलेबी तो लाला सेठ के पेठे। उनकी जेब से निकलती जो चव्वनी अठ्ठनी हर रोज़ मेरी गुल्लक जो भरती। उनके साथ खाए जो सुखे मेवे, याद आते हैं वो पल जब हर तकलीफ में हाथ उनका अपने सर पर पाती। और हर समस्या दूर हो जाती। #बचपन_और_दादाजी