परिस्थितियों के अनुरूप ढलिए, कभी फूल बनिए,तो जरूरत पड़ने पर सख्त चट्टान बनिए, जमाना ही ऐसा है,जो जैसा है उसके साथ वैसा बनिए, परिस्थितियों के अनुरूप ढलिए,गुड मॉर्निंग।।✍️☕☕