पक्षपात खंडहर हुए एहसास से बस एकटक देखते ही पता चला क्या यही पक्षपात है? मां का लाड पिता का त्याग चिलकती धूप में पसीने से तर बदर। वह खुशियां तलाशता रहा साइकिल का पैंडिल चलती रही दिन भर। आशातीत खुशी मिलती है उसे , बच्चों की एक किलकारी पर। दहल जाता है ह्रदय उनका हमारे एक शब्द काश से।। उन्होंने कभी ये समझने न दिया क्या यही पक्षपात है? गर्व रहता है उन्हें सदैव परछाईं पर। और न जाने कितने बन्द आवाज हैं सपनों के पडा़व से, ममता लुटाकर वह दंपत्ति न जताता चला क्या यही पक्षपात है? ©शिल्पा यादव #WForWriters #WForWriters Darshan राaj...✍ Praveen Jain "पल्लव" Rekha💕Sharma "मंजुलाहृदय"