लहू बन के आंँखों से बहने लगे हो, अगर प्यार है तो जताओ कभी तो। 💝 यूँ तिरछी नजर से तुम क्यों देखते हो, हमें राज दिल के सुनाओ कभी तो। 💝 खुशी के दिनों में ये आंँखों में आंँसू, हुआ क्या है हमसे बताओ कभी तो। 💝 अगर देखना है शराफत हमारी, शहर से सुनो गांँव आओ कभी तो। 💝 कहांँ थे कहांँ से कहांँ आ गए हम, गज़ल गीत ‘मन’ गुनगुनाओ कभी तो। 💝 यहांँ रोशनी की कमी हो रही है, ये चंदा सा मुखड़ा दिखाओ कभी तो। 💝 तराने सुनाकर हमें मत रिझाओ, हमें भी गजल अब सिखाओ कभी तो। #मौर्यवंशी_मनीष_मन #शेर_मन #शेर