''मैं ऐसा कुछ लिखूं कि, सारी कायनात, "मुझ में शामिल हो जाए,, "रूह ए दर्द, 'बनके क़ामिल हो जाये, मुद्दतों से तलाश है रूह ए चमन की, "तू मिले मुझे शहरों बसरा में और मेरा कातिल बन जाए,,, "बाखुदा रहे रफ्ता रफ्ता, "खलीश की आंधी चले, 'आहिस्ता आहिस्ता, 'गुज़ारिश है की फरिश्ते, 'मिले कहीं ना कहीं, 'परस्तिश क़ुबूल हो, 'गुलिस्ता गुलिस्ता, "गुलजार,