है मेरे मालिक ये कैसा सफऱ हैं ये कैसा कहर हैं अब न दौड़ती हैं पटरी पे ज़िंदगी अब न झाँकती हैं खिड़की से ज़िंदगी सब थम सा गया है ये कैसा मंजर हैं दुबक कर घरों में हैं दूर अपनो में अब न मिलते हैं मुस्कुराहटों से मुस्कुराहट अब न मुलाकातों का दौर चलता है हैं मेरे मालिक भीख मांगती हैं तेरे रहम की ज़िंदगी 🍁राकेश तिवारी🍁 OPEN FOR COLLAB✨ #ATज़िन्दगीऐसीहोगयीहै • A Challenge by Aesthetic Thoughts! 🌹 🌼 Check out our pinned post! 😁💛 Collab with your soulful words.✨ • Must use hashtag: #aestheticthoughts