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इक किनारे की तलाश में, संग तेरे सफ़र में हूं। मैं

इक किनारे की तलाश में, संग तेरे सफ़र में हूं।
मैं हक़ीक़त न सही, तेरे ज़हन-ओ-नज़र में हूं।।

उससे बिछड़ने के ख़्याल से ही मन भारी होगा।
वो क्या है मैं इस क़दर मुहब्बत के असर में हूं।।

वो जा रही थी मगर उसका मन मेरे पास रह गया।
रोकना तो चाहता था उसे पर अभी सिफ़र में हूं।।

मेरी खुशियों का लुब्ब-ए-लुबाब, बस तुम से है।
क़िस्मत में तुम मेरी और मैं तुम्हारी नज़र में हूं।।

बाहों में भरता हूं तो मन चहक उठता है श्यामल।
और ऐसा लगता है कि, मैं सुकूं के अधर में हूं।।

©Shivank Shyamal #hugday #shivanksrivastavashyamal
इक किनारे की तलाश में, संग तेरे सफ़र में हूं।
मैं हक़ीक़त न सही, तेरे ज़हन-ओ-नज़र में हूं।।

उससे बिछड़ने के ख़्याल से ही मन भारी होगा।
वो क्या है मैं इस क़दर मुहब्बत के असर में हूं।।

वो जा रही थी मगर उसका मन मेरे पास रह गया।
रोकना तो चाहता था उसे पर अभी सिफ़र में हूं।।

मेरी खुशियों का लुब्ब-ए-लुबाब, बस तुम से है।
क़िस्मत में तुम मेरी और मैं तुम्हारी नज़र में हूं।।

बाहों में भरता हूं तो मन चहक उठता है श्यामल।
और ऐसा लगता है कि, मैं सुकूं के अधर में हूं।।

©Shivank Shyamal #hugday #shivanksrivastavashyamal