कोई चाशनी में डुबोकर देता मीठा ज़हर तो कोई देता है कड़वा ज़हर, दोनों में अंतर समझ गए तो भी क्या बच पाएंगे हृदय आप? अरे! बहुत-से राज़ है इनके ये जो आस-पास बसे दिखते हैं शांत शहर, यहाँ तरह-तरह की प्रजातियों के फिर रहे हैं ज़हरी साँप। -रेखा "मंजुलाहृदय" * ©Rekha💕Sharma "मंजुलाहृदय" #fourlinepoetry #समाज #society #ज़हर #मंजुलाहृदय #शहर #rekhasharma #August