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ज़िन्दगी बक़शी है तो जीने का सलीक़ा देना क़ुव्वत बोलन


ज़िन्दगी बक़शी है तो जीने का सलीक़ा देना
क़ुव्वत बोलने की दी है तो बातों को मेरी वज़न भी देना   
जो तू न हो राज़ी तो आख़िर मेरी बिसात क्या
पैर जो तूने दिए हैं तो उसूलों पे चलने का हौंसला भी देना 22/1/20

ज़िन्दगी बक़शी है तो जीने का सलीक़ा देना
क़ुव्वत बोलने की दी है तो बातों को मेरी वज़न भी देना   
जो तू न हो राज़ी तो आख़िर मेरी बिसात क्या
पैर जो तूने दिए हैं तो उसूलों पे चलने का हौंसला भी देना 22/1/20