ऐसा लगता है कि कर देगा अब आज़ाद मुझे,
मेरी मर्ज़ी से उड़ाने लगा सय्याद मुझे...
आज फ़िर मुनव्वर राना जी के इस शेर पर दिल आकर ठहर गया...
ग़ज़ल है - ऐसा लगता है कि कर देगा अब आज़ाद मुझे...
ज़रा रुक कर सोचा जाए तो काफ़ी गहराई मिलती है आपके अल्फ़ाज़ों में, जैसे मुट्ठी भर अक्षर मिलकर एक गहरा समन्दर बनाते हैं, जिसमें बस डूब जाने को मन चाहता है...