बातां कर हिवड़ा की चौखी बातां । अठी उठी की होगी बातां ।। धन क खातर दर दर दौड़्यो, थारी म्हारी यांही बातां । सगळी बात बजन म केहणी, मत करज्ये तू थोथी बातां । भला बुरा की चर्चा होसी, जग म बस रेह जासी बातां । बोली का तीरया ना दिखे, घायल करदे तीखी बातां । कवि दिनेश या बात लिख्ह, कागद का पन्ना पर बातां । Writer Dinesh Tiwari 02/0872022 ©Dinesh Tiwari Dk बातां