मुझे लगा था मेरे जैसी हैं, मै सोचता हूँ वैसी हैं, पर बात हुई तो पता चला, न मुझसी न मेरे जैसी हैं वो सोचती हैं क्या ? मै जानता नही, मै सोचता हूँ जो, कोई मानता नही, ये प्यार-व्यार का खेल, बेकार मुझको लगता, ये आशिकी हैं क्या ? मै पहचानता नही, तुम दूर रहो मुझसे, अग़र इश्क़ करने आये हो, अच्छे भले लगते हो, बेकार मे मरने आये हो, गले मिलो, घूम लो, साथ रहो, फिर छोड़ दो, तंग आकर बिगड़ा हूँ, क्यों सुधारने आये हो ? #yqbaba #yqdidi #yqhindi #hindi #हिंदी #hindipoetry #ishq #बिगड़ना