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कभी चंचल हैं मन , कभी अज़ब सी उलझन । कहीं जमी पे हम

कभी चंचल हैं मन ,
कभी अज़ब सी उलझन ।
कहीं जमी पे हम थे ,
पर आसमाँ पे तन ।
कहीं ये फ़िजा ख़ुश थीं ,
कहीं ग़मज़दा थीं धड़कन ।
क़भी  मिजाज तेरा गर्म था ।
यू क्यूँ फ़िर आज सिहरन?
कहीं ये वक़्त तो नहीं ,
जो हर *क़भी* को लाये ।
हैं क्या यू आज अनबन ,
कहीं ये क़भी का ही ।
ना बन जाये अड़चन ,
कभी मैं आऊँगा ।
उस किसी को ढूढने ,
तभी तुम ना करना ,
 यू  अपना मन परिवर्तन ।
😕🤗😕

©Omnath #Bicycle  Sangeeta Yadav safikhan Ramesh Dasaniya ❤️❤️ 9772933764 Ajay Kumar  Geeta Modi
कभी चंचल हैं मन ,
कभी अज़ब सी उलझन ।
कहीं जमी पे हम थे ,
पर आसमाँ पे तन ।
कहीं ये फ़िजा ख़ुश थीं ,
कहीं ग़मज़दा थीं धड़कन ।
क़भी  मिजाज तेरा गर्म था ।
यू क्यूँ फ़िर आज सिहरन?
कहीं ये वक़्त तो नहीं ,
जो हर *क़भी* को लाये ।
हैं क्या यू आज अनबन ,
कहीं ये क़भी का ही ।
ना बन जाये अड़चन ,
कभी मैं आऊँगा ।
उस किसी को ढूढने ,
तभी तुम ना करना ,
 यू  अपना मन परिवर्तन ।
😕🤗😕

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