"समंदर" मत मिलना मुझसे तुम भी खारी हो जाओगी, ओ निर्मल सरिता तुम अपनी पहचान खो दोगी सब भूल जायेंगे तुम्हे, तुम्हारे अहसानो को तुम्हारे जल से पूर्ण हुऐ कार्यों को, मुझे सब पापी कहेंगे मैं तुमको निगल गया देखो तुम्हारे आ जाने से भी, मेरा जल स्तर नहीं बड़ा! मैं कभी नही भरता मैं "मानव" की तरह हूं तुम जितना जल दोगी मेरी लालसा उतनी ही बढ़ेगी, मेरी कामना बढ़ती जायेगी, इसलिए मुझमें मत मिलो! मैं " समंदर" हूं, तुम भी समंदर मत बनो, तुम सरिता ही रहो.. और इस पावन धरती पर वहो। "समंदर" मत मिलना मुझसे तुम भी खारी हो जाओगी, ओ निर्मल सरिता तुम अपनी पहचान खो दोगी सब भूल जायेंगे तुम्हे, तुम्हारे आहसानो को