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बस स्थपित करने को आदर्श मानदण्ड; राम नहीं हो सकता

बस स्थपित करने को आदर्श मानदण्ड; 
राम नहीं हो सकता मैं..
बस कर्तव्यों के निर्वाहन भर करने को;
अविराम नहीं हो सकता मैं ।
इस सामाजिक प्रथाओं के अनुपालन को;
निष्काम नहीं हो सकता मैं..
मैं सीधे सीधे शब्दों में ग़र कह दूं बातें अपनी;
श्रीराम नहीं हो सकता मैं । बस स्थपित करने को आदर्श मानदण्ड; 
राम नहीं हो सकता मैं..
बस कर्तव्यों के निर्वाहन भर करने को;
अविराम नहीं हो सकता मैं ।
इस सामाजिक प्रथाओं के अनुपालन को;
निष्काम नहीं हो सकता मैं..
मैं सीधे सीधे शब्दों में ग़र कह दूं बातें अपनी;
श्रीराम नहीं हो सकता मैं ।
बस स्थपित करने को आदर्श मानदण्ड; 
राम नहीं हो सकता मैं..
बस कर्तव्यों के निर्वाहन भर करने को;
अविराम नहीं हो सकता मैं ।
इस सामाजिक प्रथाओं के अनुपालन को;
निष्काम नहीं हो सकता मैं..
मैं सीधे सीधे शब्दों में ग़र कह दूं बातें अपनी;
श्रीराम नहीं हो सकता मैं । बस स्थपित करने को आदर्श मानदण्ड; 
राम नहीं हो सकता मैं..
बस कर्तव्यों के निर्वाहन भर करने को;
अविराम नहीं हो सकता मैं ।
इस सामाजिक प्रथाओं के अनुपालन को;
निष्काम नहीं हो सकता मैं..
मैं सीधे सीधे शब्दों में ग़र कह दूं बातें अपनी;
श्रीराम नहीं हो सकता मैं ।
sameerm9654

drunkenalpha

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