(कवि भूषण ने महाराज छत्रसाल की प्रशंसा में ‘छत्रसाल दशक’ की रचना की थी | यह कविता उसी का अंश है | इन पंक्तियों में युद्धरत छत्रसाल की तलवार और बरछी के पराक्रम का वर्णन किया है | ) Veer Maharja Chhatrasal निकसत म्यान तें मयूखैं प्रलैभानु कैसी, फारैं तमतोम से गयंदन के जाल कों| लागति लपटि कंठ बैरिन के नागिनी सी, रुद्रहिं रिझावै दै दै मुंडन के माल कों| लाल छितिपाल छत्रसाल महाबाहु बली, कहाँ लौं बखान करों तेरी कलवार कों| प्रतिभट कटक कटीले केते काटि काटि, कालिका सी किलकि कलेऊ देति काल कों|और ©MWSALLINONE महाराज छत्रसाल #mwsallinone ARVIND YADAV 1717 Ombhakat Mohan( kalam mewad ki) Pooja Rajbhar Arpit Waghela A. Goyal Sopu