मैं बच्चा हूं, मैं बच्चा हूं। हां जानता हूं मैं कच्चा हूं। कह न सकता कि अच्छा हूं। पर सच कहूं मैं सच्चा हूं। मां के मुख की मुस्कान हूँ मैं, छोटा सा एक मेहमान हूँ मैं नन्हा सा एक अरमान हूँ मै, ईमान की भी पहचान हूँ मै आंसू भी मेरे निश्चल हैं। बातों में है विश्वास भरा। मैं अलौकिक दीप हूं वो, जिसमें अनुपम प्रकाश भरा। कोमल हाथों से लड़ता हूं।, भय से भी ना मैं डरता हूं। मुश्किल ना कुछ कर पाते हैं डरकर वापस बह जाते हैं। मां आंचल से ढक लेती है, हर चोट स्वयं सह लेती है। मां की खुशियों का रंग हूँ मैं, जीता उसने वो जंग हूँ मै खुशियों से भी अनजान हूं मैं, पर जीवन की मुस्कान हूँ मैं कलियों से भी नाजुक हूं मैं, हद से ज्यादा भावुक हूं मैं। सुबह की दिव्य पहर हूँ मैं, सचमुच रब दी मेहर हूं मैं। सुख का ही आगाज हूं मैं। अब तो सचमुच आजाद हूं मैं। मासूम परिंदा मैं ही हूं। और कृष्ण गोविंदा में ही हूं। गुलशन का गुलिस्ता मैं ही हूं। ईश्वर का फरिश्ता मैं ही हूं। नन्हे, नन्हे है पांव मेरे, मृग से चंचल है भाव मेरे। अद्भुत है अंदाज मेरे। मुख में विपुल अनुराग मेरे। ज़िद से रिश्ते अटूट मेरे, अद्भुत हर करतूत मेरे बड़ी निराली छवि मेरी, निराशा सबकी दूर करें। आता ना कुछ फिलहाल मुझे, पर इस का न मलाल मुझे। अनुचित तो कुछ ना करता हूं, पर उचित कहां समझता हूं? मां की नैनो का मै हूँ नूर, रह न पाउँ मैं उनसे दूर बोली से अपना लू सबको। बस रोकर घबरा दूं सबको? आंसू मेरे अनमोल है यार, बहने ना दे जिसे मां का प्यार। शरारती और नटखट हूं मैं। आखिर तेरा बचपन हूं मैं। ©✍️verma priya #myvoice #quotes #poetry #music #happiness #sad #sunset Amar Sardar Sanam Saab Saab Gulshan_Dwivedi Shikha Sharma Kavi Rajeev Nayan