Unsplash अश्कों को आरजूए रिहाई है रोइए आंखों की इसी में भलाई है खुश है फिर मुसाफिर ए दुनिया नहीं है आप इस दस्त में अब आफला ताई है हम हैं असीरे जब्त इजाजत नहीं हे रो पा रहे हैं आप बधाई है ©Badnam Shayar #library शेरो शायरी 'दर्द भरी शायरी'