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मेरे स्पर्शी भाव और अलबेली खुशबू चाहने वाले कुछ अं

मेरे स्पर्शी भाव और अलबेली खुशबू
चाहने वाले कुछ अंजान भी हैं प्रकृति
मेरे अंग भंग से निकले,आह भी प्यारा
हर स्थिति,अवसर का गुलाब तुम्हारा। मैं तुमसे 'मोंगरे सा इश्क़' करती हूँ...
लिख- लिख के इतना लिखे है कि
मोंगरा खुद आकर ये बोल कर गये हैं ,
माफ़ कर दे... जीने दे... बख़्स दे मुझे ।

☺😛🙈☺😛🙈☺😛🙈☺

#मोगरेसाइश्क़मेरा
मेरे स्पर्शी भाव और अलबेली खुशबू
चाहने वाले कुछ अंजान भी हैं प्रकृति
मेरे अंग भंग से निकले,आह भी प्यारा
हर स्थिति,अवसर का गुलाब तुम्हारा। मैं तुमसे 'मोंगरे सा इश्क़' करती हूँ...
लिख- लिख के इतना लिखे है कि
मोंगरा खुद आकर ये बोल कर गये हैं ,
माफ़ कर दे... जीने दे... बख़्स दे मुझे ।

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#मोगरेसाइश्क़मेरा