कोशिशें, वजूद ना जाने किस फ़िराक में हैं डूबती साँसों में भी कुछ उमीदें संभाल रखीं हैं रौशनी का वहम कुछ यूँ बनाये रखा है इस कसमस में भी ये कोशिशें संभाल रखी है ZindaGi-e-SaGar #koshishen#urdushayri#poetry झूठा शायर (दीप राही)