क्यूँ को आखिर ख़ुश रहें रोएँ आखिर क्यूँ को हम इक वजह मिल जाए तो जैसे भी जी लेंगे हम जाने किस उम्मीद पे चल रही हैं धड़कनें देखते हैं ज़िन्दगी टूटेगा कब तेरा भरम बिन तेरे ये ज़िन्दगी बेवजह सी लगती है क्यूँ करें ख्वाहिश कोई क्यूँ करें आँखों को नम इक सजा है हिज़्र ये दूसरी ये ज़िन्दगी उसपे भी तुमने मुझे दी है हँसने कि कसम #हँसने कि कसम📙