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लौट आया वो डर का साया (भाग-3) उधर अगले ही दिन न

लौट आया वो
 
डर का साया

(भाग-3) उधर अगले ही दिन निशांत स्टेशन पर एक बड़ा सा सूटकेस लेकर खड़ा थ। वो बड़ा ही डरा सहमा सा बार बार हाथ मे बंधी हुई घड़ी में समय देखता रहा जैसे कि कोई उससे मिलने आने वाला हो। वो बार बार स्टेशन के दरवाजे की ओर देख रहा था कि कोई आदमी उसकी तरफ तो नहीं आ रहा है।


इसी परेशानी की वजह से एक बार उसका ध्यान सूटकेस पर से हट गया था। ऐसा होते ही एक लंबा चौड़ा आदमी उसके पास में निकला और उसके हाथ से सूटकेस छीन कर भागने लगा। इससे निशांत बहुत ही डर गया था। उसने उस आदमी का पीछा दूर तक किया लेकिन वह आदमी उसके हाथ नहीं लगा। जब निशांत भागते भागते थक गया और एक जगह खड़े होकर सुस्ताने लगा कि तभी उसके पास किसी आदमी का फोन आया। उसने डरते हुए फोन उठाया। उसके फोन उठाते ही उधर से एक रौबदार आवाज सुनाई दी- “तो आखिरकार तुम सूटकेस हम तक ले ही आए…..

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लौट आया वो
 
डर का साया

(भाग-3) उधर अगले ही दिन निशांत स्टेशन पर एक बड़ा सा सूटकेस लेकर खड़ा थ। वो बड़ा ही डरा सहमा सा बार बार हाथ मे बंधी हुई घड़ी में समय देखता रहा जैसे कि कोई उससे मिलने आने वाला हो। वो बार बार स्टेशन के दरवाजे की ओर देख रहा था कि कोई आदमी उसकी तरफ तो नहीं आ रहा है।


इसी परेशानी की वजह से एक बार उसका ध्यान सूटकेस पर से हट गया था। ऐसा होते ही एक लंबा चौड़ा आदमी उसके पास में निकला और उसके हाथ से सूटकेस छीन कर भागने लगा। इससे निशांत बहुत ही डर गया था। उसने उस आदमी का पीछा दूर तक किया लेकिन वह आदमी उसके हाथ नहीं लगा। जब निशांत भागते भागते थक गया और एक जगह खड़े होकर सुस्ताने लगा कि तभी उसके पास किसी आदमी का फोन आया। उसने डरते हुए फोन उठाया। उसके फोन उठाते ही उधर से एक रौबदार आवाज सुनाई दी- “तो आखिरकार तुम सूटकेस हम तक ले ही आए…..

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akankshagupta7952

Vedantika

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