जहर दे ! या खंजर का वार दे ! या बाबाजी का पढ़ा धागा गले मे डाल दे । उमर भर कालकोठरी मे डाल या जिस्म से जान को निकाल जो तुझे मेरे हक मे लगे ! जो तुझे "Better " लगे जो तुझे ठिक लगे वो कर पर बराये मेहरबानी मुझे सुधार दे !! मुझे सुधार दे !!! जिन्दगी मेरी सुधार दे !!! तरूण.कोली.विष्ट Akshita Jangid(poetess) नयनसी परमार