बस आम खाने से काम है। पेड़ गिनने से मतलब नहीं रखते। अवसर परस्त हैं वो ख़ुद के सिवाय किसी की भी क़द्र नहीं करते। धीरे धीरे समझ आ रहा है- आदमी क्यों आम है? जो ख़ास हैं वह तो बादाम से नीचे बात नहीं करते। बस आम खाने से काम है। पेड़ गिनने से मतलब नहीं रखते। अवसर परस्त हैं वो ख़ुद के सिवाय किसी की भी क़द्र नहीं करते। धीरे धीरे समझ आ रहा है- आदमी क्यों आम है? जो ख़ास हैं वह तो बादाम से नीचे बात नहीं करते।