लिखने बैठा था कुछ किस्से अनजान से फिर सोचा कि अंजाम कैसा होगा तेरे और मेरे इश्क़ की कहानी का ना जाने इल्जाम क्या होगा मैं फिक्र करते करते टूट भी जाऊ तुम यूँही नजरअंदाज करते रहे तो क्या होगा तुम यूँही बन बैठना अजनबी सी लेकिन मैं गर गैर ना हुआ तो क्या होगा हर बात में मेरी जिक्र तेरा हो जाता है सोचो गर ये लब खामोश हो गए तो क्या होगा हाँ हर एक दिन इंतिजार रहता है तेरा मुझे सोचो किसी दिन तुम इंतिजार में रहो,और मैं ना रहा तो क्या होगा #क्या_होगा ©Gopal #love