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लिखने बैठा था कुछ किस्से अनजान से फिर सोचा कि अंज

लिखने बैठा था कुछ किस्से अनजान से 
फिर सोचा कि अंजाम कैसा होगा 

तेरे और मेरे इश्क़ की कहानी का 
ना जाने इल्जाम क्या होगा 

मैं फिक्र करते करते टूट भी जाऊ
तुम यूँही नजरअंदाज करते रहे तो क्या होगा 

तुम यूँही बन बैठना अजनबी सी 
लेकिन मैं गर गैर ना हुआ तो क्या होगा 

हर बात में मेरी जिक्र तेरा हो जाता है 
सोचो गर ये लब खामोश हो गए तो क्या होगा 

हाँ हर एक दिन इंतिजार रहता है तेरा मुझे 
सोचो किसी दिन तुम इंतिजार में रहो,और मैं ना रहा तो क्या होगा 

#क्या_होगा

©Gopal #love
लिखने बैठा था कुछ किस्से अनजान से 
फिर सोचा कि अंजाम कैसा होगा 

तेरे और मेरे इश्क़ की कहानी का 
ना जाने इल्जाम क्या होगा 

मैं फिक्र करते करते टूट भी जाऊ
तुम यूँही नजरअंदाज करते रहे तो क्या होगा 

तुम यूँही बन बैठना अजनबी सी 
लेकिन मैं गर गैर ना हुआ तो क्या होगा 

हर बात में मेरी जिक्र तेरा हो जाता है 
सोचो गर ये लब खामोश हो गए तो क्या होगा 

हाँ हर एक दिन इंतिजार रहता है तेरा मुझे 
सोचो किसी दिन तुम इंतिजार में रहो,और मैं ना रहा तो क्या होगा 

#क्या_होगा

©Gopal #love